Amrit Vele Ka Hukamnama (HINDI) Gurdwara Sri Guru Singh Sabha C Block Hari Nagar – 22-12-24

तिलंग महला ४ ॥
हरि कीआ कथा कहाणीआ गुरि मीति सुणाईआ ॥ बलिहारी गुर आपणे गुर कउ बलि जाईआ ॥१॥ आइ मिलु गुरसिख आइ मिलु तू मेरे गुरू के पिआरे ॥ रहाउ ॥ हरि के गुण हरि भावदे से गुरू ते पाए ॥ जिन गुर का भाणा मंनिआ तिन घुमि घुमि जाए ॥२॥ जिन सतिगुरु पिआरा देखिआ तिन कउ हउ वारी ॥ जिन गुर की कीती चाकरी तिन सद बलिहारी ॥३॥ हरि हरि तेरा नामु है दुख मेटणहारा ॥ गुर सेवा ते पाईऐ गुरमुखि निसतारा ॥४॥ जो हरि नामु धिआइदे ते जन परवाना ॥ तिन विटहु नानकु वारिआ सदा सदा कुरबाना ॥५॥ {पन्ना 725}

अर्थ: हे मेरे गुरू के प्यारे सिख! मुझे आ के मिल, मुझे आ के मिल। रहाउ।

हे गुरसिख! मित्र गुरू ने (मुझे) परमात्मा की सिफत सालाह की बातें सुनाई हैं। मैं अपने गुरू से बार-बार सदके कुर्बान जाता हूँ।1।

हे गुरसिख! परमात्मा के गुण (गाने) परमात्मा को पसंद आते हैं। मैंने वह गुण (गाने) गुरू से सीखे हैं। मैं उन (भाग्यशालियों से) बार-बार कुर्बान जाता हूँ, जिन्होंने गुरू के हुकम को (मीठा समझ के) माना है।2।

हे गुरसिख! मैं उनके सदके जाता हूँ, जिन प्यारों ने गुरू का दर्शन किया है, जिन्होंने गुरू की (बताई) सेवा की है।3।

हे हरी! तेरा नाम सारे दुख दूर करने के समर्थ है, (पर यह नाम) गुरू की शरण पड़ने से ही मिलता है। गुरू के सन्मुख रहने से ही (संसार-समुंद्र से) पार लांघा जा सकता है।4।

हे गुरसिख! जो मनुष्य परमात्मा का नाम सिमरते हैं, वे मनुष्य (परमात्मा की हजूरी में) कबूल हो जाते हैं। नानक उन मनुष्यों से कुर्बान जाता है, सदा सदके जाता है।5।

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