Amrit Vele Ka Hukamnama (HINDI) Gurdwara Sri Guru Singh Sabha C Block Hari Nagar – 24-10-24

सोरठि महला ५ ॥
जितु पारब्रहमु चिति आइआ ॥ सो घरु दयि वसाइआ ॥ सुख सागरु गुरु पाइआ ॥ ता सहसा सगल मिटाइआ ॥१॥ हरि के नाम की वडिआई ॥ आठ पहर गुण गाई ॥ गुर पूरे ते पाई ॥ रहाउ ॥ प्रभ की अकथ कहाणी ॥ जन बोलहि अम्रित बाणी ॥ नानक दास वखाणी ॥ गुर पूरे ते जाणी ॥२॥२॥६६॥ {पन्ना 626}

अर्थ: हे भाई! परमात्मा के नाम की सिफत सालाह करनी, आठों पहर परमात्मा की सिफत सालाह के गीत गाने- (ये दाति) पूरे गुरू से ही मिलती है। रहाउ।

हे भाई! जिस हृदय-घर में परमात्मा आ बसा है, प्रीतम प्रभू ने वह हृदय-घर (आत्मिक गुणों से) भरपूर कर दिया। हे भाई! (जब किसी भाग्यशाली को) सुखों का समुंद्र गुरू मिल गया, तब उसने अपना सारा सहम दूर कर लिया।1।

हे भाई! परमात्मा के स्वरूप की बातचीत बताई नहीं जा सकती। प्रभू के सेवक आत्मिक जीवन देने वाली सिफत सालाह की बाणी उचारते रहते हैं। हे नानक! वही सेवक ये बाणी उचारते हैं, जिन्होंने पूरे गुरू से ये समझ हासिल की है।2।2।66।

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